35+ Allama iqbal shayari Sher in hindi | अल्लामा इकबाल शेर शायरी हिंदी
Tere Ishq Ki Intiha Chahta Hooo
Meri Sadgi Dekh Kya Chahta Hoo
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Achchha Hai Dil Ke Saath
Rahe Pasban E Aqbal
Lekin Kabhi Kabhi Isse
Tanha Bhi Chhod De.
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Laut aatna mera Dil ka
Karar ban kar
Reh gai jindzi serf tera
karar ban kar intzar ban kr.
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बातिल से दबने वाले ऐ आसमां नहीं हम
सौ बार कर चुका है तू इम्तिहां हमारा
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Allama Iqbal best shayari hindi
अक्ल अय्यार है सौ भेस बदल लेती है
इश्क बेचारा न ज़ाहिद है न मुल्ला ना हकीम
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हुई ना आम जहां में कभी हुकूमत-ए-इश्क़
सबब ये है कि मोहब्बत ज़माना साज नहीं
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ये जन्नत मुबारक रहे जाहिदों को
कि मैं आपका सामना चाहता हूं
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Socha Hi Nahi Tha Maine Aesy Bhi Zamanay Hongy
Roona Bhi Zaruri Honga Aansoo Bhi Chupany Hongy.
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Hindi Allama Iqbal shayari 2 Line
Na Mera Dil Bura Tha Na Usme Koi Burai Thi
Sab Muqaddar ka Khel Tha
Qismat Mein hi Judai Thi.
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Masjid Khuda ka Ghar hai
Peene ki Jagah nahi Kafir ke dil mein ja
Wahan khuda nahi.
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Zinda Rehna Hai To Halaat Se
Darna Kesa IQBAL
Jang laazim Ho To Lashkar Nahi
Dekhe Jaate.
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Ishq Hona Jaaruri Tha Sahab
Mot Aaksaar Bahana Dhudti Hai.
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Rulaya Na Kar Har Baat Pr Aye
Zindagi Zruri Nhai Sab Ki Qismat Mein
Chup Krwane Wale Hoon.
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Urdu Allama Iqbal shayari 2 lines hindi
मजनूं ने शहर छोड़ा तो सहरा भी छोड़ दे
नज़्जारो की हवस हो तो लैला भी छोड़ दे
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हम जब निभाते है तो इस तरह ”निभाते” है,
सांस लेना तो छोड़ सकते है पर दमन यार नहीं।
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तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ,
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ,
ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को,
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ।
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जब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाही,
खुलते हैं ग़ुलामों पर असरार-ए-शहंशाही।
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Allama iqbal shayari urdu hindi
नहीं तेरा ”नशेमनं” कसर्-ए-शुलतानी के गुम्बद पर,
तू #शाहीन बसेर कर पहाडों की ”चट्टानो” में!!
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जब आँख खुले तो धरती हिन्दुस्तान की हो,
जब आँख बंद हो तो यादेँ हिन्दुस्तान की हो
हम मर भी जाए तो कोई गम नही,
लेकिन मरते वक्त मिट्टी हिन्दुस्तान की हो
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दिल से जो ”बात” निकलती है असर_रखती है
पर नहीं ताक़त -ए -परवाज़ मगर रखती है
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गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँ,
गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा।
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सितारों के आगे जहां और भी है,
अभी इश्क़ के इम्तिहां और भी है,
तू शाही है परवाज़ है काम तेरा,
तिरे सामने आसमां और भी है।
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Allama Iqbal Islamic shayari
और भी कर देता है ”दर्द” में इज़ाफ़ा
तेरे ‘होते’ हुए गैरों का “दिलासा” देना
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ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा वो दिन है याद तुझको,
उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।
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साक़ी की मुहब्बत में दिल साफ़ हुआ इतना,
जब सर को झुकाता हूँ शीशा नज़र आता है।
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न रख ”उम्मीद-इ-वफ़ा” किसी परिंदे से इकबाल,
जब पर निकल आते है तोह अपना “आशियाना” भूल जाते हैं.
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अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़ ऐ जिन्दगी
तूं अगर मेरा नहीं बनता ना बन अपना तो बन
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Allama iqbal Shayari in english
हमने “तन्हाई” को अपना बना रक्खा
राख के ढ़ेर ने #शोलो को दबा रक्खा है
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Tu Guzar Jaye Karib Se
Wo Bhi Mulaqat Se Kam Nahi.
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Ajeeb Zulm Huey Hain Duniya Mein Mohabbat par
Jinhe mili Unhe Qadar Nahi Jinhe Qadar Thi Unte mili Nahi.
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फ़िदा-ए-मुल्क होना हासिल-ए-क़िस्मत समझते हैं,
वतन पर जान देने ही को हम जन्नत समझते हैं,
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना,
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा।
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फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का,
न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है।
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खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले,
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।
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उरूज-ए-आदम-ए-ख़ाकी से अंजुम सहमे जाते हैं,
कि ये टूटा हुआ तारा मह-ए-कामिल न बन जाए।