Top Mirza Ghalib Shayari In Hindi English | मिर्जा गालिब शायरी हिंदी में
इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया,
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया।
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दुःख दे कर सवाल करते हो,
तुम भी ग़ालिब कमाल करते हो !
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हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है।
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इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब',
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।
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galib ki shayari in hindi
कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है,
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता।
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जाते हुए कहते हो क़यामत को मिलेंगे
क्या खूब क़यामत का है गोया कोई दिन और
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क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ,
रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन।
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ghalib shayari
कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है,
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता।
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इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना,
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।
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हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन,
ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक।
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ghalib shayari on love
दर्द हो दिल में तो दवा कीजे,
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजे !
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हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता।
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बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना,
आदमी को भी मुयस्सर नहीं इंसाँ होना।
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ghalib ki shayari
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे,
कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और।
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मेहरबान हो के बुला लो मुझे चाहे जिस वक़्त
मैं गया वक़्त नहीं हूँ के फिर आ भी ना सकूँ
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कहते हैं जीते हैं उम्मीद पे लोग, हम को जीने की भी उम्मीद नहीं।
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करने गए थे उस से तग़ाफ़ुल का हम गिला,
की एक ही निगाह कि बस ख़ाक हो गए।
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फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं,
फिर वही ज़िंदगी हमारी है।
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Best mirza ghalib shayari
वो आए घर में हमारे खुदा की कुदरत है,
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं !
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मरते हैं आरज़ू में मरने की,
मौत आती है पर नहीं आती।
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कोई उम्मीद बर नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती
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आया है बेकसी-ए-इश्क पे रोना ग़ालिब,
किसके घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद !
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आशिक़ हूँ पर माशूक़ फरेबी है मेरा काम
मजनू को बुरा कहती है लैला मेरे आगे
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दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
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हम तो फना हो गए उसकी आंखे देखकर गालिब,
न जाने वो आइना कैसे देखते होंगे !
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