Top Mirza Ghalib Shayari In Hindi English | मिर्जा गालिब शायरी हिंदी में

इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया, 
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया। 
__________________________________

दुःख दे कर सवाल करते हो,
तुम भी ग़ालिब कमाल करते हो !
__________________________________

हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन, 
दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है।
__________________________________

इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब', 
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।   
__________________________________

galib ki shayari in hindi

कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है, 
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता। 
__________________________________

जाते हुए कहते हो क़यामत को मिलेंगे
क्या खूब क़यामत का है गोया कोई दिन और
__________________________________

क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ, 
रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन। 
__________________________________

ghalib shayari

कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है, 
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता। 
__________________________________

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना,
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना। 
__________________________________

हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन, 
ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक। 
 __________________________________

ghalib shayari on love

दर्द हो दिल में तो दवा कीजे,
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजे !
__________________________________

हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता।
 __________________________________

बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना, 
आदमी को भी मुयस्सर नहीं इंसाँ होना।
 __________________________________

ghalib ki shayari

हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे, 
कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और।
 __________________________________

मेहरबान हो के बुला लो मुझे चाहे जिस वक़्त
मैं गया वक़्त नहीं हूँ के फिर आ भी ना सकूँ
__________________________________

कहते हैं जीते हैं उम्मीद पे लोग, हम को जीने की भी उम्मीद नहीं। 
__________________________________
 
करने गए थे उस से तग़ाफ़ुल का हम गिला, 
की एक ही निगाह कि बस ख़ाक हो गए। 
__________________________________

फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं, 
फिर वही ज़िंदगी हमारी है।  
__________________________________

Best mirza ghalib shayari

वो आए घर में हमारे खुदा की कुदरत है,
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं !
__________________________________


मरते हैं आरज़ू में मरने की, 
मौत आती है पर नहीं आती।  
 __________________________________

कोई उम्मीद बर नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती
__________________________________

आया है बेकसी-ए-इश्क पे रोना ग़ालिब,
किसके घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद !
__________________________________

आशिक़ हूँ पर माशूक़ फरेबी है मेरा काम
मजनू को बुरा कहती है लैला मेरे आगे
__________________________________

दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
__________________________________

हम तो फना हो गए उसकी आंखे देखकर गालिब,
न जाने वो आइना कैसे देखते होंगे !